पहली बार इस मुगल बादशाह ने हिंदू रानी से बंधवाई थी राखी by mahima sharan 30 aug 2023 0213 pm jagranjoshcom
राखी का मुगलों में इतिहास मुगल इतिहास में राजपूत रानी कर्णावती की ओर से सम्राट हुमायूं को राखी भेजने का उल्लेख मिलता है। कहा जाता है कि हुमायूं ने राजपूत बहन की राखी की लाज रखी थी।
हुमायूं ने रखी राखी की लाज हुमायूं के चित्तौड़गढ़ पहुंचने से पहले ही रानी कर्णावती ने जौहर कर लिया था लेकिन हुमायूं ने चित्तौड़गढ़ के दुश्मन बहादुर शाह को युद्ध में हराकर किले को आजाद करा लिया था।
राजपूत की रानी को बनाया बहन इतिहासकारों का मानना है कि मुगल साम्राज्य में रक्षाबंधन हुमायूं को आई राजपूत रानी कर्णावती की राखी से मनाया जाता था।
अकबर ने जारी रखी परमपरा सिर्फ हुमायूं ही नहीं बल्कि बादशाह अकबर और तत्कालीन मुगल बादशाह जहांगीर भी रक्षाबंधन को धूमधाम से मनाते थे और कलाई पर राखी भी बांधते थे।
दरबार में मनाया जाता था राखी का उत्सव अकबर भी अपने पिता हुमायूँ की तरह रक्षाबंधन का त्यौहार मनाता था। इसका पहला कारण अकबर का राजपूत परिवार से संबंध था और दूसरा कारण यह था कि अकबर के दरबार में कई दरबारी हिंदू थे।
हिंदुओं की तरह धूमधाम से मनाया जाता था त्योहार अकबर ने रक्षाबंधन के दिन ही दरबार में राखी बांधने की परंपरा शुरू की थी। अकबर को राखी बांधने के लिए इतने लोग पहुँचते थे कि राखी बंधवाने में ही पूरा दिन बीत जाता था।
जहाँगीर आम लोगों को राखी बांधती था जहांगीर ने भी इस परंपरा को आगे बढ़ाया फर्क सिर्फ इतना था कि अकबर केवल दरबारियों के परिवार से राखी बंधवाता थी लेकिन जहांगीर आम लोगों से भी राखी बंधवाता था।
औरंगजेब ने लगाया प्रतिबंध जहांगीर के बाद शाहजहां के समय में दरबार में रक्षाबंधन मनाने की परंपरा कम हो गई। औरंगजेब के शासनकाल में इस पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया था।